Saturday, August 8, 2009



बीमार है नकली दवा का निगरानी तंत्र ......?
करोडों लोगों की जिन्दगी से खिलवाड़.....!
जीवन रक्षक दवायों में नकली काला कारोबार ....?
जरा सोचिय जो आप ले रहे हैं क्या वो सही है ......?
सेना में , सरकारी संस्थायों में दी जाने वाली दवाईओं में भी गोरख धंधा.....
रियाणा में नकली दवा के कारोबार ने एक संगठित अपराध का रूप ले लिया है। बीते दिनों अम्बाला, फरीदाबाद, गुडगाँव,हिस्सार के कई जिलों में नकली दवाएं बिकती पकड़ी गयी हैं। अनुमान के मुताबिक यह कारोबार 50 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

राज्य में फुटकर और थोक मिलाकर कुल 95 हजार दवा की दुकानें हैं। दवा के पूरे व्यापार पर सीधे तौर पर नजर रखने के लिए अपर्याप्त ड्रग इंस्पेक्टर हैं। ऐसे में नकली दवा की निगरानी कितनी पुख्ता तरीके से हो रही होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

केंद्र सरकार द्वारा 2003 में तय मानक के अनुसार तीन सौ दवा की दुकानों और बीस ड्रग फार्मेसी पर नजर रखने के लिए एक ड्रग इंस्पेक्टर औषधि निरीक्षक तैनात होगा। इस हिसाब से प्रदेश की 95 हजार दवा की दुकानों और छह सौ दवा फैक्ट्रियों की निगरानी के लिए कम से कम तीन सौ अधिक औषधि निरीक्षकों की आवश्यकता है। इसके सापेक्ष राज्य के बीस जिलों में मात्र तीस ड्रग इंस्पेक्टर तैनात हैं। आधे जिलों में ड्रग इंस्पेक्टर के पद खाली हैं। ज्यादातर ड्रग इंस्पेक्टरों को कम से कम दो जिलों का काम देखना पड़ रहा है।

बेअसर एफडीए

नकली दवा की रोकथाम के लिए गठित 'फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन [एफडीए]' विभाग में कई आला अधिकारियों के पद भी रिक्त चल रहे है। औषधि निरीक्षक को हर माह कम से कम पन्द्रह दवाओं के नमूने भरने के निर्देश हैं। किस निरीक्षक ने किन दवाओं के कितने नमूने लिये और तय सीमा से कम नमूने जांच के लिए भेजने वाले ड्रग इंस्पेक्टर पर क्या कार्रवाई की गयी, इसका भी कोई ब्यौरा विभाग के पास नहीं हैं।

उधार लेकर परीक्षण को भेजी जा रही दवाएं

नियमानुसार ड्रग इंस्पेक्टर दुकानों से दवाएं खरीदकर उन्हें परीक्षण के लिए भेजेगा। विभाग के पास इसके लिए बजट तो है लेकिन उसमें भी भ्रष्टाचार ही फैला है । एक ड्रग इंस्पेक्टर बताते हैं कि मजबूरी में दुकान से उधार पर दवाएं लेकर उसे जांच को भेजना पड़ता है। यही कारण है कि बीते एक वर्ष के दौरान राजकीय जन विश्लेषक प्रयोगशाला को जांच के लिए भेजी गयीं करीब आठ सौ दवाओं में एक भी महंगी एंटीबायोटिक, सिरप, वैक्सीन व इंजेक्शन शामिल नहीं है।

महानिदेशक का कहना है

स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि सभी सीएमओ को नकली दवा की बिक्री पर नजर रखने के निर्देश हैं। इसकी सूचना मिलते ही तुरंत दवाएं जांच के लिए प्रयोगशाला भेजी जाये। उधर एफडीए विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक औषधि निरीक्षक के रिक्त पदों को भरने के लिए लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेजा गया है। इसी प्रकार सुसंगत सेवा नियमावली में भी संशोधन की कार्यवाही चल रही है ताकि प्रोन्नति के पदों को भरा जा सके।