Friday, August 7, 2009

रेल में आप ऐसा खाना खा रहे हैं !!!


रेल में आप ऐसा खाना खा रहे हैं !!!

kichen ताब्दी एक्सप्रेस को बेहतरीन फूड क्वालिटी व कैटरिंग सर्विस के लिए दो साल पहले आईएसओ सर्टिफिकेट मिला था। लेकिन कालका से नई दिल्ली जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस के अंबाला स्थित बेस किचन की हालत देखकर लगता है कि यह सर्टिफिकेट छलावा भर है।

दोपहर के वक्त हमने इस किचन में पहुंच कर देखा कि फर्श पर पानी व गंदगी फैली थी। कहीं चिकन के टुकड़े, तो कहीं चप्पलें पड़ी थीं। गर्मी व उमस के कारण खाना बना रहे कर्मचारी पसीने से नहाए हुए थे। ऐसे में साफ-सुथरे माहौल में पौष्टिक खाना तैयार करने का दावा कितना सही है, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

700 यात्रियों का खाना

दो कमरों वाले इस किचन में रोजाना औसतन 700 यात्रियों के लिए खाना तैयार व पैक होता है। उल्लेखनीय है कि खाना बनाने की प्रक्रिया में तो साफ-सफाई का ख्याल नहीं रखा जाता, लेकिन पैकिंग में पूरी सावधानी बरती जाती है। शायद किचन का ठेकेदार मानता है कि अफसर और यात्री किचन देखने तो आते नहीं, वे तो केवल पैकिंग देखकर ही संतुष्ट हो जाते हैं। आईआरसीटीसी ने किचन का ठेका एक ठेकेदार को दे रखा है।

अक्सर रहती है यात्रियों को शिकायत


शताब्दी एक्सप्रेस में सर्व किए जाने वाले फूड को लेकर यात्रियों को अक्सर शिकायतें रहती हैं। इस बात को अंबाला मंडल भी स्वीकार करता है, लेकिन इस मुद्दे को आईआरसीटीसी के अधिकारियों से बात कर सुलझाने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं। कुछ समय पहले डॉ। संदीप छत्रपाल के माता-पिता शताब्दी का खाना खाकर बीमार हो गए थे। यही नहीं बीते वर्ष चंडीगढ़ शहर के चीफ इंजीनियर रह चुके वीके भारद्वाज अपनी पत्नी के साथ शताब्दी में नई दिल्ली जा रहे थे, तो कटलेट में मौजूद लोहे की तार उनकी पत्नी के गले में फंस गई थी, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भी दाखिल होना पड़ा था |

किचन का जल्द ही रेनोवेशन कराया जाएगा। खाने की गुणवत्ता जांचने के लिए 20 से 25 दिन में एक बार पीएफए टेस्ट होता है। जहां तक गंदगी का सवाल है तो इसे चेक कराएंगे।

अनीत दुल्लत, ग्रुप जनरल मैनेजर, आईआरसीटीसी


आईएसो से ले चुके रेलवे के उस सर्टिफिकेट पर भी संदेह के सवालों ने घेर लिया है जो अब अपनी आंखों देखने के बाद कोई यकीं नहीं कर सकता , लेकिन अभी रेलवे के अधिकारी किचन की गंदगी की जांच की ही बात कह रहे हैं |
आईआरसीटीसी की इस लापरवाही के लिए आख़िर कौन जिम्मेवार है ? और कौन इस पर करवाई करेगा ? जो लोग रेलवे की इस किचन का खाना खाने के बाद आप बीती सुनाते हैं उन शिकायतों पर कौन अमल करेगा ?

6 comments:

अभिषेक मिश्र said...

Vakai Breaking News !

सागर नाहर said...

सही कहा आपने,
एक बार हमने भी रेल का किचेन देख कर कसम खा ली कि कभी रेल्वे का कुछ भी नहीं आयेंगे। अब तो गांव जाते समय अक्सर घर से ही पराठें बना कर निकलते हैं भले ही सफर दो दिन का ही क्यों ना हो।
और अक्सर प्लेटफार्म पर केले भी मिल जाते हैं।

॥दस्तक॥|
गीतों की महफिल|
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सागर नाहर said...

ऊपर आयेंगे की बजाय खायेंगे पढ़ें।

Amit K Sagar said...

im very happy...aaj jaroorat hai ki sachchaai ko har koi jaane. keep it up dear. it's great job.

शशांक शुक्ला said...

सही कहा आपने लेकिन ये एक ऐसी खबर है जिसकी सबको खबर है लेकिन कोई कुछ नहीं कहता

Hetprakash vyas said...

Aap to ate hi Chha gae. bahut bahut swagat shreeman